केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा लाए गए संविधान संशोधनों और कांग्रेस सरकारों द्वारा लाए गए संविधान संशोधनों की तुलना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए मौलिक संवैधानिक प्रावधानों को बदल दिया, जबकि भाजपा ने नागरिकों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। कांग्रेस को “आरक्षण विरोधी” बताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस 50% की सीमा में वृद्धि चाहती है, जिसका एकमात्र कारण धार्मिक आधार पर आरक्षण प्रदान करना है।
शाह ने कहा, “भाजपा और कांग्रेस दोनों ने संविधान में बदलाव किए, लेकिन इस बदलाव का उद्देश्य क्या था? प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय संविधान में पहला संशोधन किया गया और 19ए जोड़ा गया। यह संशोधन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए किया गया था। इसी तरह, 24वां संशोधन किया गया और इसके माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सीमित किया गया। इसी तरह, कांग्रेस ने संविधान में कई संशोधन केवल अपने उद्देश्य के लिए किए।” शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 को अपनी नाजायज संतान की तरह पाला। “जब 2019 में मोदी फिर से पीएम बने, तो इसी सदन में एक झटके में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया। ये लोग कहते थे कि अनुच्छेद 370 हटेगा तो खून बहेगा, लेकिन आज किसी में एक कंकड़ फेंकने की हिम्मत नहीं है।” उन्होंने विपक्ष के विरोध के बीच कांग्रेस से सवाल भी किया कि बिना किसी बहस या मतदान के संविधान में अनुच्छेद 35ए कैसे डाला गया। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद को एक परिवार की निजी संपत्ति माना जाता है।